गुरुजी के विशेष ज्ञानरूपी मार्गदर्शन
'सनातन धर्म' शब्द का सही अर्थ साक्षात 'देवों के देव महादेव' जी ने 'ज्योतिषाचार्य अघोर श्री गुरुजी प्रशांत खळे' जी को ध्यानधारण करते समय दिया है।
सनातन = सन + आ + तन =
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सन = काल, समय
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आ = गहराई से, deep, बड़ा, किसी बड़ी चीज को बताने के लिए 'आ' शब्द का प्रयोग करते है । जैसे आकाश, आकार, आनंद, आरंभ
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तन = शरीर, प्रक्रिया, रूप
(काला नुसार गहराई, deep study करके शरीर,रूप धारण करना मतलब 'सनातन')
धर्म = ध + र्म =
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ध = धारण करना, पकड़ के रखना, स्वीकार करना
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र्म = जीवन मे जिंदा रहने योग्य ऐसा, जीवन मे जिंदा रहने के लिए कार्यान्वित करने योग्य, जीवन मे जिंदा रहने की योग्य प्रक्रिया (र्म) यह अक्षर र्+म इन दो अक्षरों से बना है। 'रम' यह शब्द का प्रयोग किसी भी जिंदा प्रक्रिया मे या moving elements 'गतिशील तत्व' मे उपयोग लाते है ।
(जीवन मे जीवित रहने हेतु जो भी नीति-नियम या कायदा-कानून धारण करने होते है और जो अपने लिए और समाज के लिए योग्य होते है उसे 'धर्म' कहते है ।)
'सनातन + धर्म' का पूर्ण अर्थ -
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काल अनुसार जिंदा रहने के लिए जीवन मे नए नियम, कायदा, कानून धारण करने वाली जो प्रक्रिया या पद्दती है उसे 'सनातन धर्म' कहते है।
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काल अनुसार खुद मे परिवर्तन करने वाला धर्म ।
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काल अनुसार रूप धारण करने वाला धर्म ।
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काल अनुसार अपने नियम मे बदलाव करने वाला धर्म ।
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काल अनुसार हमेशा उत्क्रांति evolution करने वाला धर्म ।
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as per requirement of society and people's survival, timely upgraded version of rules, regulations & spiritual system is called as 'sanatan dharma'
साक्षात 'देवों के देव महादेव' जी के मार्गदर्शन से, ज्योतिषाचार्य अघोर श्री गुरुजी प्रशांत खले जी के अनुसार सनातन धर्म की परिभाषा में हिंदू, बौद्ध, सिख, जैन, पारसी और आदिवासी समाज सनातनी धर्म की आध्यात्मिक शाखाएं हैं।
With the guidance of the real 'Lord of Gods Mahadev' ji, according to Astrologer Aghor Shri Guruji Prashant Khale Ji, in the definition of Sanatan religion, Hindu, Buddhist, Sikh, Jain, Parsi and tribal societies are the spiritual branches of Sanatani Dharma.